अभिनंदन सरोवर में रोज एक घंटा, किया श्रमदान ताकि जमीन की बुझ सके प्यास

बबलू ने चालीस कदम जमीन नापी झाड़ू और फावड़ा थाम उतरे तालाब में

राकेश मौर्य

जमीन के भीतर पानी पहुंचाने की धुन में कोई अकेला व्यक्ति पूरे मनोयोग से किसी सार्वजनिक स्थल की सफाई में जुटा हो ऐसा देखने में कम ही आता है। लेकिन बैतूल का एक बाशिंदा ऐसी ही धुन लेकर चला तो जो ठाना वो करके दिखाया भी.. उसने ११ मई से सफाई शुरू की... प्रतिदिन एक घंटा सफाई का लक्ष्य निर्धारित किया और करीब ४० कदम जमीन नापकर उसकी सफाई की। नतीजा ये हुआ कि १७ मई आते तक तालाब के किनारों की लगभग ७५ प्रतिशत गंदगी साफ करने में सफलता मिल गई। ये सौ फीसदी सच है..बैतूल नगर के कोठी बाजार क्षेत्र में अवस्थी गोडाउन के पास निवास करने वाले हेमंतचंद्र दुबे बबलू ने इस काम को कर दिखाया है। अकेले दम पर फूटे तालाब को पॉलिथिन और कचरा मुक्त बनाने के लिये बबलू ने अपने हाथों में झाड़ू,फावड़ा उठाकर बगल में घमेला दबाया और उतर पड़े तालाब में.....मौसम गर्मी का है तालाब में पानी से ज्यादा कचरा है इन दिनों...चूंकी बबलू पहले से ही हॉकी मैदान को पॉलिथिन फ्री करने के लिये मेहनत करते रहते हैं, अपने काम के दौरान उन्होने देखा कि गर्मी के दिनों में एस्ट्रोटर्फ पर जो पानी सिंचा जाता है वो टर्फ से होकर मैदान के आसपास खाली जगह पर जाकर जमीन में चला जाता है। पानी को जमीन में भेजने के लिये बबलू ने जो प्रयास हॉकी मैदान पर किया और उन्हे सफलता मिली। एक दिन इस शख्स की नजर जब तालाब में पड़े कचरे और पॉलिथिन पर पड़ी तो उसके मन में विचार आया कि क्यों न इसे साफ कर दिया जाए ताकि पॉलिथिन और कचरे से तालाब के पानी की राह रूके नही बल्कि तालाब में जमा पानी सीधा धरती के गर्भ में समा जाए और आसपास का जलस्तर बढ़े। विदित रहे कि बबलू की जो आम दिनचर्या होती है उसमें सफाई के लिये समय जरूर शामिल होता है। अक्सर शाम को आप ने इन्हे मेजर ध्यानचंद हॉकी मैदान में तसले फावड़े और झाडू़ के साथ देखा ही होगा। मेजर ध्यानचंद हॉकी मैदान में सुंदर बगीचा लगाने की बात हो या फिर हॉकी मैदान को पॉलिथिन मुक्त करने की बात हो,या फिर कैंसर जागरूकता मिशन के तहत कैंसर रोगियों की सेवा और मार्गदर्शन की... इन तमाम बातों के लिये इन्हे जाना जाता है । बिना किसी लाव लश्कर के...बिना किसी प्रचार के....११ मई से प्रतिदिन शाम को ६ बजे से एक घंटे तक वे अपनी झाड़ू और फावड़ा लेकर प्रतिदिन यहां श्रमदान करने लगे। १६ मई आते आते तालाब की सूरत बदलने लगी और इसके किनारे साफ और स्वच्छ दिखाई देने लगे। दरअसल फू टे तालाब के किनारों पर पॉलिथिन और कचरा इतना ज्यादा हो चुका था कि उसे साफ करना बेहद जरूरी था यदि ये नहीं किया जाता तो आने वाले समय में ये कचरा हवा से उड़कर तालाब में जाता और धीरे धीरे करके ये जमीन की सतह पर इकटठ हो जाता और फिर ये कचरा जमीन में रिसने वाले पानी के मार्ग को अवरूद्ध करता इस बात को ध्यान में रखते हुए बबलू दुबे ने इस तालाब के किनारों पर हुए कचरे को साफ करने की शुरूआत की। 

कैंसर पर लंबे संघर्ष के बाद पायी विजयश्री

वैसे तो बैतूल में उन्हे सभी जानते हैं लेकिन यहां ये बताना वाजिब होगा कि बबलू कैंसर से फाईट करके उसे हरा चुके हैं। इसके  बाद से वे लगातार कैंसर रोगियों के मार्गदर्शक का काम भी कर रहे हैं। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और भारतीय हॉकी के स्वर्णिम इतिहास के जानकार बबलू अपनी जवानी के दिनों से ही हॉकी के अच्छे खिलाड़ी रहे लेकिन मैदान पर हुई एक दुर्घटना ने उनके पैर में आई एक चोट की वजह से उन्हे हॉकी के मैदान से दूर कर दिया। पैर में लोहे की रॉड लगानी पड़ी सो अब वे हॉकी से दूर हो गये। लेकिन उन्होने हार न मानते हुए अपना समय हॉकी के उन बच्चों के लिये देना शुरू किया 

जो हॉकी खेलना सीख रहे हैं। 

 

कैसे करते हैं इस कचरे को साफ

 

फूटे तालाब के गंदगी से पटे किनारों को साफ करने का काम इतना आसान भी नहीं था क्योंकि जहां एक तरफ यहां पर आसपास के दुकानों का कचरा,मुर्गियों के पंख,और यहां वहां शौच की गंदगी तो थी ही,बड़ी मात्रा में पॉलिथीन इकटठ होने के अलावा छोटे खरपतवारनुमा झुरमुट भी पनप गये थे। यहां सफाई करने के लिये सबसे पहले उन्होने अभिनंदन सरोवर के पूर्वी हिस्से से अपने अभियान को प्रारंभ कर दक्षिणी हिस्से पर बनी पहलवान बाबा की दरगाह के किनारे तक की सफाई की। इसके बाद दूसरे किनारे की तरफ जहां पत्थरों की पिचिंग की गई है उस हिस्से पर पड़े कचरे और पॉलिथिन को हटाने का काम शुरू किया। वे प्रतिदिन जितना कचरा इकट्ठा करते उसे एक ढेर बनाकर आग लगा देते। इस प्रकार प्रतिदिन करीब दो-तीन ट्राली कचरा एकत्रित करके वे जला चुके है। सफाई अभियान के दौरान संक्रमण से बचने के लिये दस्ताने और मास्क का भी वे इस्तेमाल करते हैं।

तालाब को साफ करने की पे्ररणा कैसे मिली

इस सवाल के जवाब में बबलू कहते हैं कि ये तालाब हमारी धरोहर है। मैं एक दिन यहां पर आया और मुझे इसके किनारों पर पॉलिथन और कचरा दिखाई दिया तो मैने सोचा कि क्यों न इसे मैं स्वयं साफ करने की कोशिश क रूं। चूंकी इससे पहले हॉकी मैदान के गोल पोस्ट के पीछे के हिस्से का कचरा भी मैं साफ कर चुका था इस काम को पूरा करने के बाद मेरा हौसला बढ़ा और मैं तालाब में उतर गया। हॉकी लवर बबलू अपने हाथो में झाड़ु को एक तरह से हॉकी स्टिक ही मानते हैं,वे कहते हैं हॉकी में कमर को झुकाकर गेंद को ड्रिबल करते हुए गोल तक जाना होता है ठीक वैसे ही जब मेरे हाथों में झाड़ू होती है तो कमर झुकाकर झाड़ू को स्टिक समझकर खेलते हुए ही यह सफाई हो जाती है। सफाई पूरी हो गई मतलब हमने गोल मार दिया। स्वच्छता को खेल की फिलासफी से जोडऩे वाले बबलू का ये अभियान निश्चित रूप से समाज को निज स्वार्थ से परे समर्पण भाव से काम करने की सीख तो जरूर देगा।

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