Bharat Bharti Awasiya Vidyalaya

Bhart Bharti Jamthi Betul M.P. 460001

Overview

भारत भारती आवासीय विद्यालय 

सतपुड़ा की सुरम्य पर्वत श्रृंखलाओं के बीच प्राकृतिक वातावरण में स्थित भारत भारती आवासीय विद्यालय देश के प्रमुख आवासीय विद्यालयों में से एक है। वर्तमान में इस विद्यालय में पूर्वार्द्ध से लेकर द्वादशी तक भैयाओं के अध्ययन की व्यवस्था है। कक्षा 6वीं से 12वीं तक सामान्य भैयाओं की व अनुसूचित जन-जाति के भैयाओं की भी आवासीय व्यवस्था है।

शैक्षिक उपलब्धियाँ

हमारा सर्वव्यापी उद्देश्य ही अभावग्रस्त क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार और जनजागरण से देश के विकास में योगदान करना है। इस हेतु समिति द्वारा संचालित आवासीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्षेत्र की अग्रणी शिक्षण संस्थाओं में है। गौरव का विषय है कि गत् सत्रों में विद्यालय का परीक्षा परिणाम शत्-प्रतिशत रहा है। शिक्षा के आधुनिकीकरण और इसमें रूचि पैदा करने की दृष्टि से विद्यालय में टीचनेक्स्ट कंपनी प्रोजेक्टर सिस्टम क्रय किया गया है, जो 03 कक्षा-कक्षों में स्थापित है। इसके द्वारा भैया-बहिन दृश्य और श्रृव्य माध्यम से अपने विभिन्न विषयों का अध्ययन करते हैं और अपनी जिज्ञासाओं, शंकाओं का समाधान करते हैं। विद्यालय द्वारा गत् सत्र से कक्षा 11 में कृषि संकाय प्रारम्भ किया गया है। 

भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा वनवासी युवाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ एवं स्वाबलंबी बनाने के उद्देश्य से परिसर में ही व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है, जिसमें मोटर वाइडिंग, बुक वाइडिंग, स्क्रीन प्रिंटिग, सिरेमिक आर्ट, चित्रकला, सिलाई तथा सीमेंट के पेयर्स ब्लाॅक निर्माण आदि का प्रशिक्षण योग्य प्रशिक्षकों द्वारा दिया जाता है। 

जैविक कृषि

भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा बहुउद्देशीय और महत्वपूर्ण प्रकल्प के रूप में जैविक कृषि प्रक्षेत्र जिले के कृषक बंधुओं का माॅडल एवं प्रेरणास्पद बन गया है। मध्यप्रदेश कृषि एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रमों, कृषि दर्शन, किसान रथ यात्रा आदि के अन्तर्गत राजगढ़, हरदा, होशंगाबाद तथा बैतूल जिले के लगभग 18 विकासखण्डों से 360 कृषक इस प्रकल्प दर्शन हेतु आये हैं। इससे प्रेरणा लेकर अपने जिले में यहाँ की उन्नत तकनीकों, खाद की विभिन्न विधियों तथा इसके निर्माण संबंधी गतिविधियों से परिचित हो लाभ प्राप्त कर चुके हैं। ज्ञात हो कि भारत भारती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में गत सत्र प्रारम्भ हुये कृषि संकाय के छात्र भी प्रयोग आधारित इस पद्धति में पारंगत हो रहे हैं। इस कृषि प्रक्षेत्र में खाद की विभिन्न विधियाँ जैसे- वर्मी कम्पोस्ट, नाडेफ, समाधी खाद, सींग खाद, गोबर खाद, अमृत खाद, तथा हरी खाद, एवं जैव कीटनाशकों में प्रभावी जैव कीट नियंत्रक, गोमूत्र, पंचगव्य, छाछ आदि का प्रयोग किया जाता है। वैसे इस प्रक्षेत्र की कृषि भूमि पूर्णतः सिंचित हैं, किन्तु असिंचित तथा अल्प सिंचित इलाकों में खेती का भरपूर लाभ और प्रेरणा लेने के लिये प्रायोगिक आधार पर मल्विंग पद्धति से भी कृषि की जा रही है। जिसमें कम सिंचाई तथा अल्प परिश्रम में भी श्रेष्ठ फसल उत्पादन किया जा सकता है। 

जल संवर्धन -

 

समिति द्वारा भूमि के जल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष जहाँ भैयाओं से श्रमदान द्वारा बोरी बंधान करवाया जाता है, वहीं पंचायत की सहायता से प्रवेश द्वार के सामने वाली पुलिया के नीचे स्टाॅप डेम का निर्माण भी करवाया है। वर्षा के जल को सभी भवनों से एकत्रित कर डेढ़ एकड़ में निर्मित कृत्रिम तालाब एवं परिसर के कुँओं में पहुँचाया जाता है जिससे वर्ष भर यहाँ पानी की कमी नहीं होती। अभिनव प्रयोग के रूप में विद्यालय भवन एवं नवीन छात्रावास में दैनिक उपयोग के अपशिष्ट जल को संग्रहित कर तथा कोयला, बोल्डर एवं रेत द्वारा शोधन कर लगभग 1 लाख लीटर जल को एक विशाल टंेक में संग्रहित किया जाता है जिससे वर्तमान में 2 एकड़ भूमि को सिंचित किया जा रहा है। नवनिर्मित छात्रावास में इसके अतिरिक्त और भी जल संवर्धन के विभिन्न उपाय किये गये हैं जिससे वर्षागत जल व्यर्थ न बहकर खेती तथा भूमिगत जल की वृद्धि में उपयोगी सिद्ध हो सके। 
1. व्यवसायी प्रशिक्षण केन्द्र- भारतभारती जनजातीय छात्रावास में मोटर वाइडिंग, बिजली फिटिंग,
सिलाई, बुक बाइडिंग, स्क्रीन प्रिंटिंग, झाडू निर्माण, औषधी निर्माण, कृषि बागवानी, हस्तकला आदि 
का प्रशिक्षण छात्रों को दिया जाता है।
2. छात्रावास संचालन- ताप्ती छात्रावास का संचालन जिसमें 40 वनवासी भैयाओं के निःशुल्क 
शिक्षा एवं आवास की व्यवस्था।
3. सुगन्धित तेल शोधन केन्द्र (ऐरोमेटिक आईल)ः- भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा बैतूल
जिले में तिखाड़ी घास (पामा रोजा) के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस वनस्पति के तेल से सभी 
प्रकार के परफ्यूम व इत्र का बेस आईल होता है। विद्यालय के छात्र एवं वनवासियों को इसकी 
खेती के लिए प्रेरित करना व प्रशिक्षण दिया जाता है। 
मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के संयोग से इसका संयंत्र स्थापित किया गया है
जिसमें वनवासी ग्रामीण अपने खेतों में इसकी घास से तेल निकालकर धनोपार्जन करते है। 
4 जैविक खेती एवं जैविक खाद प्रशिक्षण- 1000 ग्रामीण वनवासियों को प्रतिवर्ष प्रशिक्षण
दिया जाता है जिसमें जैविक खाद (नाडेस, बर्नी कम्पोस्ट, फ्लेरी खाद आदि) का प्रशिक्षण 
दिया जाता है।
5. औषधि प्रयोगशाला प्रशिक्षण- भारत भारती वनवासीयों के लिए औषधि प्रयोगशाला को 
संचालित करती है जिसमें च्यवनप्राश, इन्टीऐस्टिक चूर्ण, कई प्रकार के क्लाथ आदि निर्माण 
किया जाता है। प्रतिवर्ष लगभग 300-400 किलोग्राम च्यवनप्राश निर्माण किया जाता है।